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300 वर्ष पुराने इस जैन मंदिर के निर्माण में कहीं भी नहीं हुआ लोहे का प्रयोग, जानिए मंदिर का इतिहास

राजा चन्द्रसेन ने बनवाए थे पचास जैन मंदिर। मुहम्मद गौरी के आक्रमण के बाद सिर्फ एक यही मंदिर बच सका।

फिरोजाबाद। यमुना की खादरों में बसे पुराने फिरोजाबाद यानी चन्द्रवाड़ में स्थित करीब 300 साल पुराने जैन मंदिर की कहानी काफी रोचक है। इस मंदिर की खासियत यह है कि इस पूरे मंदिर के निर्माण में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है।

राजा चन्द्रसेन ने बनवाया था जैन मंदिर
बताते हैं कि करीब 300 वर्ष पूर्व जैन समाज के राजा चन्द्रसेन यहां राज्य करने आए थे, उन्हीं ने मंदिर का निर्माण कराया। फिरोजाबाद शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित चन्द्रवाड़ नामक जगह का इतिहास भी राजा चंद्रसेन से जुड़ा हुआ है। राजा चन्द्रसेन क्षेत्र में काफी प्रभावशाली लोगों में गिने जाते थे इसलिए आसपास के इलाकों में उनका नाम कुछ ही समय में मशहूर हो गया।

राजा ने बनवाए थे 51 जैन मंदिर
राजा चन्द्रसेन ने 51 जैन मंदिरों की स्थापना अपने शासनकाल में कराई थी। इस प्राचीन जैन मंदिर के निर्माण में ककइया ईंटों का प्रयोग किया गया था । मंदिर के पुजारी पंकज जैन बताते हैं कि राजा के समय में यहां की प्रजा काफी खुश रहती थी, लेकिन तभी यमुना के सहारे मुहम्मद गौरी फिरोजाबाद में आ गया और उसने चन्द्रवाड़ के राजा के ऊपर आक्रमण कर दिया।

जैन मंदिरों को तुडवा दिया
मुहम्मद गौरी के आतंक से परेशान होकर राजा चन्द्रसेन ने जैन मंदिरों की मूर्तियों को उससे बचाने के लिए जमीन में छिपा दिया। इसके बाद मुहम्मद गौरी ने जैन मंदिरों को तहस-नहस करा दिया और राजा चन्द्रसेन को बंदी बना लिया था। उसने यहां के लोगों को मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए विवश किया था। जिन्होंने उसकी बात मानने से इंकार किया उसे मौत के घाट उतार दिया गया। उस दौरान केवल एक यही मंदिर रह गया था । मुहम्मद गौरी ने इस मंदिर को भी तहस नहस करने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो सका था। अंत में वह यहां से भाग गया।

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